इनकम टैक्स का नाम आपने भी सुना होगा। या हो सकता है आप भी इससे परेशान हों। लेकिन इनकम टैक्स की शुरुआत आखिर कब और कैसे हुई? सन 1857 के विद्रोह के बारे में, हर भारतीय जानता है। इसने भारत की आजादी का अलख जगाया, लेकिन इस विद्रोह की वजह से, ब्रिटिश सरकार को फाइनांशियली बहुत नुकसान हुआ था। और उसी नुकसान की भरपाई के लिए, इस क्रांति के 3 साल बाद, यानी 1860 में सर जेम्स विल्सन ने भारतीयों पर इनकम टैक्स लगा दिया। ये 24 जुलाई को लागू हुआ था, उसी की याद में, आज हम इन्कम टैक्स डे मना रहे हैं। हां ये अलग बात है कि, ये दिन पहली बार, साल 2010 में मनाया गया था, क्योंकि उस वक्त भारत में आयकर के 150 साल पूरे हुए थे।
1922 से पहले तक, इस कर के लिए कोई स्पेसिफिक डिपार्टमेंट या स्ट्रक्चर नहीं था। लेकिन 1922 में इनकम टैक्स एक्ट लाया गया, जिसके आधार पर प्रत्यक्ष करों का फ्रेमवर्क तैयार किया गया। फिर, 1924 में सेंट्रल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू बनाया गया, जिसे इनकम टैक्स की फंक्शनल रिस्पाँसिबिलिटी दी गई। काफी साल इसी बोर्ड ने काम किया, लेकिन 1963 में इस बोर्ड को विभाजित करके, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टेक्सेस यानी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड बनाया गया।, जो आज भारत में प्रत्यक्ष करों से जुडे़ सभी मामले देखता है। ये बोर्ड डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू का पार्ट है, जो वित्त मंत्रालय के तहत आता है। इनकम टैक्स का सीधा सा मतलब है, एक ऐसा कर, जिसे सरकार लोगों और निगमों की आय पर लगाती है। जैसे - सैलरी, business income या किराए से होने वाली इनकम। इनकम टैक्स, सरकार की आय का, या यूं कहें कि देश के विकास में लगने वाले पैसे का अहम सोर्स है। सरकार टैक्स लेती है, और उसे इन्फ्रास्ट्रक्चर, डेवलपमेंट, हैल्थ और एजुकेशन जैसे तमाम क्षेत्रों में खर्च करती है।
लेकिन सरकार के अनुसार, लगभग 6.2% आबादी ही इनकम टैक्स देती है। इसका कारण क्या है। या तो बाकी की 93% जनसंख्या की इतनी इनकम नहीं है कि उन्हें टैक्स देना पड़े या फिर लोग टैक्स चोरी कर रहे हैं। इनकम टैक्स सिर्फ इसलिए नहीं देना चाहिए कि कानून बना है। बल्कि ये हमारी मौलिक जिम्मेदारी है। टैक्स पे करके, हम सरकार को इस काबिल बनाते हैं, कि वो नए प्रोजैक्ट शुरू करके, देश का विकास कर सके। द रेवोल्यूशन -देशभक्त हिंदुस्तानी सिर्फ यही कहना चाहता है कि देश का हर नागरिक फाइनांशियली स्ट्राँग बने और इनकम टैक्स पे करके देश के विकास में योगदान दे।